Schnaittach, Friedhof I
252 Grabmale (1534-1829)
st1
Transkription | |
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[...] | |
[ת]נצב[״ה] | |
[Rechte Seite] | |
3 | פה |
טמון [...] | |
[...] ר׳ | |
6 | יהודא בן |
הח״ר [...] | |
הלוי נקבר | |
9 | בש״ט [...] |
תך״ו ל׳ | |
[Linke Seite] | |
פה | |
12 | טמונה א[שה] |
חשובה [...] | |
הטובה מרת | |
15 | גיטלה בת |
הר״ר יעקב | |
כ״א טבת תכ״ה |
Übersetzung | |
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[...], | |
[Ihre Seele seien eingebunden in das Bündel des Lebens?] | |
Rechte Seite | |
Hier | 3 |
ist geborgen [...] | |
[...] Herr | |
Jehuda, Sohn des | 6 |
toragelehrten Herrn [...] | |
Halevi, begraben | |
›mit gutem Namen‹ [...] | 9 |
426 der Zählung | |
Linke Seite | |
Hier | |
ist geborgen die, | 12 |
angesehene Frau, | |
die Gute, Frau | |
Gitle, Tochter des | 15 |
geehrten Meisters, Herrn Jaakow, | |
21. Tewet 425 |
- Zitate
- Zl 9: bBer 17a
- Kommentar
- Die Schriftfelder sind nicht ganz ausgefüllt, beide Inschriften scheinen mit der Angabe des Sterbedatums zu enden. Vermutlich stand der übliche Schlußsegen oben auf dem Rahmen.
- Zustand
- 2018: Das Grabmal ist verwittert, die Inschrift stellenweise stark ausgewaschen, vor allem auf dem oberen Rahmen. Sie ließ sich nicht mehr vollständig entziffern.