Laupheim
921 Grabmale (1761-1979)
lau
-
Matele, [lau-32-1],
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- 1854-06-23 || 27. Sivan 5614
Transkription | |
---|---|
האשה החשובה והצנועה | |
עטרת בעלה ומשפחתה | |
3 | מדרכי הישר והצדק |
מנעוריה לא סרה | |
פרסה לרעב לחמה | |
6 | ובחכמה פתחה פיה |
מרת מאטילי א״כ מנחם | |
ווייל מתה לעצבון משפחתה | |
9 | ביום ו׳ עש״ק כ״ז ונקברת ביום |
א׳ כ״ט סיון התרי״ד לב״ע | |
תנצבה״ח א״ס | |
[verso] | |
12 | Mathilde Weil |
geboren den 8. März 1819, | |
getraut den 2. Sept. 1837, | |
15 | gestorben den 23. Juni 1854. |
Übersetzung | |
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Die angesehene und bescheidene Frau, | |
Krone ihres Gatten und ihrer Familie, | |
von den Wegen der Geradheit und der Gerechtigkeit | 3 |
wich sie von ihrer Jugend an nicht ab, | |
sie brach dem Hungrigen ihr Brot | |
und in Weisheit öffnete sie ihren Mund, | 6 |
Frau Matele, Gattin des geehrten Menachem | |
Weil, gestorben zum Kummer ihrer Familie | |
am Tag 6, Rüsttag des heiligen Schabbat, 27., und begraben am Tag | 9 |
1, 29. Sivan 5614 nach Erschaffung der Welt. | |
Sei ihre Seele eingebunden in das Bündel des Lebens, Amen Sela | |
verso |
- Kommentar
- Zl 2: Spr 12,4.
- Zl 3-4: Vgl. 2 Chr 20,32.
- Zl 5: Vgl. Jes 58,7.
- Zl 6: Vgl. Spr 31,26.
- Es fällt auf, daß bei dieser Inschrift die übliche Einleitungsformel "Hier ist begraben/geborgen" fehlt.